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लीवर को स्वस्थ बनाए रखती हैं ये 5 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां – Best Ayurvedic Herbs for Liver Health In Hindi

लीवर को स्वस्थ बनाए रखती हैं ये 5 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां – Best Ayurvedic Herbs for Liver Health In Hindi

Last updated on : 07 Oct, 2024

Read time : 9 min

लीवर (Liver) हमारे शरीर का एक काफी महत्वपूर्ण अंग है जो कि मानव शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। यह शरीर में मेटाबोलिस्म, इम्यूनिटी, पाचन (digestion), शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने (डीटाक्सफकेशन), विटामिन का भंडारण जैसे और भी की अन्य गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होता है। इसका वजन किसी भी वयस्क के शरीर भार का 2% होता है। यह इसलिए भी अद्भुत है क्योंकि इसमें दो जगह से खून का संचालन होता है जिन्हें हम पोर्टल वेन (portal vein) और हेपेटिक आर्टरी (hepatic artery) के नाम से जानते हैं। यह शरीर में सेक्स हॉर्मोन metabolism और कैरियर प्रोटीन का उत्पादन करता है जो कि मनुष्य के शरीर में प्रजनन और विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में लीवर के स्वास्थ के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों का उल्लेख किया गया है जो कि न केवल लीवर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि इसे विषैले पदार्थों से भी बचाते हैं। इस ब्लॉग में, हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से लीवरस्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पांच प्रमुख जड़ी-बूटियों के बारे में चर्चा करेंगे। 

आयुर्वेद और लीवर स्वास्थ्य (Ayurveda and Liver Health in Hindi) 

आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। यह शरीर को संतुलित बनाए रखने के लिए जानी जाती है। आयुर्वेद में लीवर को “यकृत” कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, लीवर शरीर में पित्त दोष के लिए मुख्य केंद्र है और इसी वजह से इसका संतुलन बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जिससे कि लीवर की कार्यक्षमता पर कोई प्रभाव न पड़े। आयुर्वेद में लीवर स्वास्थ्य के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों का उल्लेख किया गया है, जो लीवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने, उनकी मरम्मत करने, और लीवर को सही तरीके से काम करने में मदद करती हैं। इन जड़ी-बूटियों का नियमित सेवन न केवल लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और उसे विभिन्न रोगों से बचाने में सहायक होता है बल्कि यह अन्य अंगों और तंत्रों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ

1. भृंगराज (Bhringraj)

भृंगराज, जिसे “Eclipta alba” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसे “केशराज” के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यतः इसका उपयोग लीवर में सूजन काम करने के लिए किया जाता है। 

भृंगराज के फायदे

  • यह लीवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती है और लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है।
  • भृंगराज के सेवन से लीवर की सूजन कम होती है और यह इसके कार्य को सुधारने में सहायक होती है।
  • यह जड़ी-बूटी विशेष रूप से पित्त संबंधी समस्याओं जैसे कि पीलिया और हेपेटाइटिस के इलाज में प्रभावी मानी जाती है।

2. कटुकी (Katuki)

इसे “Picrorhiza kurroa” के scientific नाम से जाना जाता है। यह एक काफी शक्तिशाली जड़ी-बूटी मानी जाती है  और इसे  लीवर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाता है। इसका सेवन विषाक्त पदार्थों से लीवर को बचाने और इसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। 

कटुकी के फायदे : 

  • यह लीवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखती है। 
  • पित्त का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। 
  • कटुकी लीवर के कार्य को सुधारती है और पित्ताशय के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है। 
  • यह लीवरके विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होती है।

3. कालमेघ (Kalmegh)

इसका scientific नाम  “Andrographis paniculata” है। इसे ग्रीन चिरेटा भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे लीवर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है और इसका कड़वा स्वाद इसे और भी प्रभावी बना देता है। कालमेघ का उपयोग लीवर को डिटॉक्स करने, सूजन को कम करने, और पाचन को सुधारने के लिए किया जाता है।

कालमेघ के फायदे:  

  • यह लीवर की सफाई में मदद करती है और रक्त को शुद्ध करती है। 
  • कालमेघ लीवर की सूजन को कम करने और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है।
  • यह लीवर के विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद करती है और पीलिया जैसी समस्याओं के इलाज में प्रभावी है।
  • यह पाचन तंत्र को भी ठीक करता है जिससे लीवर पर काम दबाव पड़ता है। 

4. भूमि आंवला (Bhumyamalaki)

भूमि आंवला जिसे “Phyllanthus niruri” के scientific नाम से जाना जाता है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है जो लीवर के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह लीवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में काफी उपयोगी होती है। इसका उपयोग विशेष रूप से लीवर की सूजन को काम करने के लिए किया जाता है जिससे वह सही से काम कर पाये। 

भूमि आंवला के फायदे : 

  • यह लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है और लीवरको डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती है।
  • भूमि आंवला पित्त को संतुलित करती है और लीवर की कार्यक्षमता को सुधारती है। 
  • यह लीवरकी सूजन को कम करती है और पीलिया के इलाज में सहायक होती है।

5. पुनर्नवा (Punarnava)

पुनर्नवा को “Boerhavia diffusa” के scientific नाम से जाना जाता है। लीवर स्वास्थ्य के मामले में इसे बहुत ही उपयोगी जड़ी-बूटी माना गया है। आयुर्वेद में इसे लीवर की विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनमे से लीवर की सूजन को कम करना भी एक है जिससे कि लीवर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। 

पुनर्नवा के फायदे : 

  • यह लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और उसकी सफाई में मदद करती है। 
  • पुनर्नवा लीवर की सूजन को कम करती है और पित्त को संतुलित करती है। 
  • यह लीवर के विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होती है और पीलिया के इलाज में प्रभावी है।

इन जड़ी-बूटियों का उपयोग नियमित रूप से करने से, न केवल लीवर की कार्यक्षमता में सुधार होता है, बल्कि यह संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।

इन जड़ी-बूटियों का सेवन कैसे करें? (How to Consume These Herbs?)

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन अगर सही मात्रा और उचित तरीके से किया जाए तो यह काफी लाभदायक सिद्ध होती हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल पाउडर, कैप्सूल, या काढ़े के रूप में किया जाता है। 

सेवन की विधि :

  • पाउडर: हमने ऊपर जिन भी जड़ी-बूटियों की बात करी है वो सब पाउडर के रूप में पाई जाती हैं और इन्हें गरम पानी या गुनगुनें दूध के साथ लिया जा सकता है। 
  • कैप्सूल: अगर स्वाद में ये सभी जड़ी-बूटियाँ आपको पसंद नहीं या रही हैं तो दूसरा तरीका इनको लेने का यही है कि आप इन्हें कैप्सूल के साथ ले। कैप्सूल के कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं और यह भी उतना ही लाभ प्रदान करते हैं जितना कि पाउडर। 
  • काढ़ा: अगर पहली दो विधियाँ आपको पसंद नहीं या रही हैं तो आप इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल काढ़े के रूप में भी कर सकते हैं। यह सबसे बेहतरीन तरीका है अपनी लीवर संबंधित समस्याओ से मुक्त होने के लिए। आप इस विधि का इस्तेमाल विशेषकर सर्दियों में कर सकते हैं। 

सही मात्रा : 

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की सही मात्रा शारीरिक संरचना और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं। इसीलिए इनका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है और किसी भी तरह की हानी को रोक सकता है। 

आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle) 

लीवर को स्वस्थ रखने के लिए सही खाना और जीवनशैली अपनाना जरूरी है। लीवर की अच्छी सेहत के लिए संतुलित खानपान, रोज़ कसरत करना, और ठीक तरह से जीना बहुत मायने रखता है। 

लीवर स्वास्थ्य के लिए आहार: 

  • हरी सब्जियाँ और फल: हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन लीवर को साफ रखता है।
  • प्रोटीन युक्त आहार: प्रोटीन युक्त भोजन लीवर की कोशिकाओं को नया जीवन देने में सहायक होता है। 
  • अल्कोहल से बचें: अल्कोहल लीवर को हानि पहुंचा सकता है, इसलिए इसका सेवन न करें। 
  • जीवनशैली: धूम्रपान से बचें: धूम्रपान लीवर के काम करने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। 
  • नियमित व्यायाम: रोज़ाना व्यायाम करना लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
  • योग: भुजंगासन शलभासन, और धनुरासन जैसे योगासन लीवर के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। 

लीवर स्वास्थ्य के लिए योग और व्यायाम (Yoga and Exercise for Liver Health) 

योग और व्यायाम शरीर के साथ-साथ लीवर को भी स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। रोज़ योग और व्यायाम करने से लीवर बेहतर काम करता है और कई बीमारियों से बचा रहता है।

योगासन:

  • भुजंगासन: यह योगासन लीवर की कार्यक्षमता में सुधार लाता है। 
  • शलभासन: यह लीवर की कोशिकाओं को नया जीवन देता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है। 
  • धनुरासन: धनुरासन लीवर को साफ करने और उससे हानिकारक पदार्थ हटाने में सहायक होता है। 

व्यायाम: 

  • कार्डियो एक्सरसाइज: दौड़ना, तैरना, और साइकिल चलाना जैसे रोजाना के कार्डियो व्यायाम लीवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। 
  • स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज: स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज लीवर के काम करने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है।

लीवर स्वास्थ्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा का महत्व (Importance of Ayurvedic Treatment for Liver Health)

आयुर्वेदिक चिकित्सा लीवर के लिए एक काफी बेहतरीन दृष्टिकोण प्रदान करती है जिसमें लीवर को डीटाक्सफाइ करने, उसकी कार्यशक्ति को बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों, सत्विक आहार एवं प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा लीवर की समस्या का दीर्घकालिक उपचार करती है और ये प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं। 

आयुर्वेदिक उपचार:

  • जड़ी-बूटियों का सेवन: आयुर्वेद में लीवर के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  • स्वास्थ्यवर्धक आहार: आयुर्वेदिक चिकित्सा में लीवर के स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक आहार का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है।

लीवर स्वास्थ्य को बनाए रखना हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जैसे भृंगराज, कटुकी, कालमेघ, भूमि आंवला, और पुनर्नवा लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और उसे डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती हैं। इन जड़ी-बूटियों का सेवन सही मात्रा में करने से हम अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं और कई बीमारियों से बच सकते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से लीवर की देखभाल करना न केवल स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारता है।

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